What is a FIIs Data: सितंबर 2024 में समाप्त तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी में 5.4% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो पिछले सात तिमाहियों में सबसे धीमी ग्रोथ है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए अपने विकास अनुमान को घटाकर 6.4% कर दिया है, जो चार वर्षों में सबसे कम है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी, भारतीय बाजार पर दबाव
सितंबर 2024 से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का रुख जारी है। आर्थिक सुस्ती से चिंतित विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारी संख्या में अपनी होल्डिंग्स बेची हैं। नतीजतन, निफ्टी 50 और सेंसेक्स 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, इस गिरावट का सबसे अधिक असर रियल एस्टेट, एनर्जी और ऑटो सेक्टर पर पड़ा है। यह पिछले साल की स्थिति से बिलकुल उलट है, जब निफ्टी 50 लगातार ऊंचाइयां छू रहा था और वैश्विक इंडेक्स S&P 500 से बेहतर प्रदर्शन कर रहा था।
विशेषज्ञों की राय FIIs Data : अर्थव्यवस्था सुस्त दौर में प्रवेश कर रही
एबी बर्नस्टीन के इंडिया रिसर्च हेड वेणुगोपाल गैरे का मानना है कि भारतीय बाजार में बना बुलबुला अब फूट रहा है। उन्होंने FY25 की दूसरी तिमाही में कमजोर आय और सुस्त आर्थिक वृद्धि को इसका प्रमुख कारण बताया।
डेटा और एनालिटिक्स फर्म कैपिटल इकोनॉमिक्स का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था अब नरम दौर में प्रवेश कर चुकी है, जो कुछ और तिमाहियों तक जारी रह सकता है। इसी के चलते, HSBC ने भारतीय इक्विटी पर अपनी रेटिंग घटाकर “न्यूट्रल” कर दी है और निफ्टी 50 की अनुमानित अर्निंग ग्रोथ को 15% से घटाकर 5% कर दिया है।
FIIs Data की भारी निकासी, निवेश प्रवाह 99% घटा
भारत के राष्ट्रीय सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (NSDL) के अनुसार, पिछले 4 महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी से बड़ी मात्रा में पूंजी निकाली।
2024 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) का प्रवाह 99% घटकर केवल 12.4 करोड़ डॉलर रह गया।
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28 जनवरी तक FIIs ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग 8.3 अरब डॉलर निकाल लिए।
मनुलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के एमडी राणा गुप्ता ने बताया कि भारत की आर्थिक सुस्ती ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़ रही है। इससे बॉन्ड अधिक आकर्षक हो गए हैं, जिससे विदेशी निवेशक भारतीय बाजार छोड़ रहे हैं।
घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी
FIIs की बिकवाली के बावजूद घरेलू निवेशकों ने बाजार को संभाले रखा है।
मनुलाइफ के अनुसार, अक्टूबर 2024 से अब तक घरेलू निवेशकों ने भारतीय इक्विटी में करीब 27 बिलियन डॉलर का निवेश किया।
इससे शेयर बाजार में अधिक गिरावट आने से कुछ हद तक बचाव हुआ है।
“हेल्दी करेक्शन” का नजरिया
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के को-फाउंडर प्रमोद गुब्बी का मानना है कि कोविड के बाद चार वर्षों तक शानदार रिटर्न देने के बाद भारतीय बाजार अब एक हेल्दी करेक्शन से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि बिकवाली के कारण वैल्यूएशन अधिक उचित स्तर पर आ सकता है, जिससे नए निवेशक बाजार में प्रवेश कर सकते हैं।
निफ्टी 50 ने 2024 में लगभग 9% और 2023 में लगभग 19% का वार्षिक रिटर्न दिया।
करेक्शन के चलते लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छे अवसर बन सकते हैं।
भारतीय शेयर बाजार फिलहाल दबाव में है, लेकिन घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी इसे स्थिर बनाए रखने में मदद कर रही है। हालांकि, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और सुस्त GDP ग्रोथ चिंता का विषय बनी हुई है। आगे की तिमाहियों में आर्थिक सुधार और वैश्विक वित्तीय स्थितियों पर बाजार का प्रदर्शन निर्भर करेगा।
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