Spinal Cord Injury क्या है रीढ़ की हड्डी में चोट के लक्षण और समस्या आदी के बारे में डिटेल जानें:-

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal Cord Injury) यानी रीढ की हड्डी में चोट अथवा घाव का होना ही स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी कहलाता है, इस तरह की केश में आदमी को जब कभी रीढ की हड्डी में गंभीर चोट लग जाती हैं तो इसे हम आम तौर पर स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी कहते है और जब इस तरह की चोट किसी भी व्यक्ति को लगता हैं तो उसव्यक्ति कई प्राकार की शारीरिक और मानसिक समस्या उत्पन्न होने लगती है. हालाकी ये सब व्यक्ति को लगने वाले चोट की स्थिति और उसके गंभीरता के आधार पर होती हैं।

Spinal Cord Injury क्या है रीढ़ की हड्डी में चोट के लक्षण और समस्या आदी के बारे में डिटेल जानें:-

तो आइए जानते है कि स्पाइनल इंजुरी क्या होता है. और Spinal Cord Injury क्यो होता है, रीढ़ की हड्डी का कार्य ,रीढ की हड्डी में चोट लगने से होने वाली समस्या,रीढ की हड्डी में चोट के बाद रिकवरी इलाज और अन्य सभी जानकारी को निचे विस्तार से जानते है.

Spinal Cord Injury क्या होता है?

Spinal Cord Injury क्या होता है?

रीढ़ की हड्डी की परिभाषा : रीढ़ की हड्डी में चोट (Spinal Injury) चोट के कारण उत्पन्न होने वाली रीढ की हड्डी में होने वाली किसी भी तरह की नुकसान को दर्शाता है। इस प्राकार की गंभीर चोट किसी अप्रिय या दुर्घटनाग्रस्त स्थिति के दौरान हो जाती है, जो हमारे शरीर के बैक बोन यानी रीढ की हड्डी के फंक्शन को प्रभावित कर देती है और इससे हमारे शरीर के अन्य हिस्सों की गतिविधियों को प्रभावित भी कर देता है। जिसके परिणामस्वरूप, आदमी अपने  शारीरिक कार्यों और उसके संचालन को ठीक से नहीं कर पाते है.

जैसे मैं अपने दोस्त की अगर बात करू तो मेरा स्पाइनल इंजुरी मॉर्निग के वक्त बीम घिचने के दौरान हाथ फिसल जानें और पीठ की तरफ़ गीर जाने के वजह से हुआ है । जिस वजह से मेरे दोस्त के रीढ के हड्डी का C5 लेवल डिस्टर्ब हों गया। और मौके पर ही उसकी पुरी बॉडी को लकवा मार दिया। हालाकी तब वह दर्द से रो रहा था और चिला रहा था। क्यों कि उसे गर्दन के निचे से अंगो को प्रभावित किया था।

आपकों सरल भाषा में बता दें कि Spinal Cord Injury ( SCI) होने पर में व्यक्ति के कई तरह की शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करती है. और एसी चोट व्यक्ति के स्पाइनल कॉर्ड में मौजुद न्यूरॉन्स को भी नुकसान पहुंचाती है, जिससे रोगी की चलने फिरने, उठने बैठने,खाने पीने, साँस लेने जैसे असमर्थ होता है।इस प्राकार की चोट अक्सर हादसे, गिरावट, स्विम्मनिंग, या अन्य रोड़ या एक्सरसाइज जैसे घटनाओं के दौरान होती है जो रीढ की हड्डी को चट्टान की तरह प्रभावित करती है।

स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी के बाद क्या करे।

Spinal Cord Injury में जभी कभी चोट लगता हैं और आदमी ठीक महसूस नहीं करता है और दर्द बेचैनी से से करहता हैं तो चोट लगने के तुरंत बाद, चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, आपको किसी न्यूरो डॉक्टर के पास मरीज को ले जाना चाहिए। और डॉक्टर सुझाव के अनुसार एक्स- रे, CT Scan या MRI जांच करा लें। फिर आगे का रास्ता चूने जैसे दवाओं का सेवन करें,रीढ़ की हड्डी की पूरी सर्जरी,रीढ़ की हड्डी का अधूरा घाव, व्यायाम, रीढ़ की हड्डी की सूजन की जटिलता,रिहैब और फिजियोथेरेपी का पालन करें तथा अपने स्वास्थ्य का पूरी तरह से ध्यान रखें।

किसी को spinal cord injury हो जानें पर मेडिकल सहायता लेने के बाद कुछ और उपाय बहुत महत्वपूर्ण  उपाय होता है . जो किसी भी SCI मरीज को मददगार साबित हो सकते हैं:

1. Spinal Cord Injury के बाद किसी भी प्रकार की सर्जरी चिकित्सा सहायता के लिए हमेशा तैयार रहें।

2. चिकित्सक, न्यूरो डॉक्टर, या विशेषज्ञ की सलाह पर ही कोई काम करें।

3. किसी अच्छे फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर से शारीरिक थैरेपी, योगा और व्यायाम का पालन करें जैसे कि आपके कहे।

4. खुद का मानसिक स्वास्थ्य का सबसे ज्यादा ध्यान रखें इसमें आपकों counseling और support groups शामिल हो सकते हैं।

5. Spinal Cord Injury के बाद खुद को स्ट्रॉन्ग रखें और हिम्मत न हारे।

6. अपनें मनोबल को हमेशा ऊंचा रखें, ज्यादा चिंता न करें।

7.स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी मे सर्जरी होने के बाद थेरेपी, और दवाओं का संयुक्त इलाज जारी रखना चाहिए।

8. उचित आहार और पोषण का ध्यान रखें।

9. मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, और अपनें परिवार का सहयोग सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है।

10. अगर आपके पास पैसा है तो आप रिहाबिलिटेशन जरूर करे।

11. किसी अच्छे और जानकर फिजियोथैरेपिस्ट की सहयोग से फिजियोथेरेपीहोम करते रहना है।

11. अलग अलग प्रकार की एक्सरसाइज को करते रहे जैसे – सेल्फ एक्सरसाइज, फैमिले सपोर्ट एक्सरसाइज़ आदि।

12. SCI होने के बाद ऑक्यूपेशनल थेरेपी, और स्पीच थेरेपी जैसी रिहाबिलिटेशन आपको रिकवर करने में मदद कर सकती हैं।

13. स्वास्थ्य देखभाल के तहत अपनें दिनचर्या के लिए सहायक उपकरण की मदत ले, जैसे कि व्हीलचेयर और क्रूचेस, से अपनी शारिरिक स्वास्थ्य देखभाल में सहायता मिल सकती है।

14. Spinal Cord Injury के बाद मानसिक समर्थन बनाए रखने के लिए मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग भी महत्वपूर्ण है।

Spinal cord injury का लक्षण क्या होता है?

Spinal cord injury (SCI ) होने के बाद उसके कई सारे लक्षण व्यक्ति के अंदर आते हैं लेकिन ये उस बात पर निर्भर करता है कि चोट रीढ़ के किस स्थान पर लगा और कितना गंभीर चोट लगा है उस बात पर निर्भर करता हैं। क्यों कि आदमी का रीढ़ का हड्डी तीन श्रेणियों में बांटा गया हैं। टेट्राप्लाजिया, क्वाड्रिप्लेजिया और टेट्राप्लाजिया । जिसके कई सारे लेवल होते हैं। जो कुछ सामान्य लक्षण निचे शामिल हैं:

SCI होने पर आदमी के अंदर क्या प्रभाव पड़ता हैं।

1. Spinal Cord Injury होने के तुरंत बाद पैरों और हाथों में अचानक कमी अथवा असंतुलन

2. शरीर के किसी भाग में महसूस न होने और पावर का खत्म होना।

3. गर्दन या पीठ में तेज दर्द अथवा दबाव का अनुभव

4. प्राणसंचालन की समस्या, जैसे में श्वास लेने में दिक्कत या हृदय दर का बढ़ जाना।

5. मल मूत्र यानी पेशाब और लैट्रिन का न महसूस होना।

6. शारीर में अचानक शिशुफेफेलिस में आना।

7. अप्राकृतिक स्पस्टित पैरों या हाथों।

8. मूत्र अथवा पेशाब को नियंत्रित करने में समस्या।

9. Spinal cord injury में पैरों या हाथों की मोटाई का अंतर होना या कमजोर होना।

10. Spinal Cord Injury होने के बाद बोलने और गर्दन हिला पाने में कठिनाई।

11. आदमी के शरीर के ऊपरी या फिर निचले हिस्सों का पैरालिसिस यानी लकवा मार हो जाना शमिल है।

12. पूर्ण या आंशिक पैरालाइसिस का होना, जिससे कमर के निचे पैरों की मोशन में कमी होती है।

13. सेंसेशन की कमी होना यानी इंजरी वाले स्थान पर या उसके निचले हिस्से पर जगह-जगह अनुमानित रूप से महसूस कम हो सकता है।

14. पेट की या आंतरिक समस्याएं, जैसे कि पेट में कब्जियत का बन जाना।

15. पैरों में मोशन में कमी, मांसपेशियों की कमजोरी तथा कंट्रोल में कमी हो सकती है।

16. Spinal Cord Injury के बाद व्यक्ति को पैराप्लेजिया या पैराप्यरेसिस का हो जाता है।

17.रीढ़ की हड्डी में चोट के बाद, व्यक्ति की शारीरिक क्षमता कम हो जाती है जिससे वह व्यक्ति को वजन को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।

18.रीढ़ की हड्डी चोट के कारण व्यक्ति की चुम्बकीय क्षमता आंशिक रूप से प्रभावित हो सकती है, जिससे उस व्यक्ती को बैलेंस स्थिति में कठिनाई हो सकती है।

19.इस प्रकार की चोट के बाद व्यक्ति सामाजिक रुप से और मानसिक रुप से चुनौतियाँ हो सकती हैं, जैसे में डिप्रेशन का होना।

20. स्पाइनल इंजुरी में व्यक्ति चलने फिरने, उठने बैठने में भी असमर्थ हो जाता हैं।

21. हाथों की उंगलियों और पैरों की उंगलियों में सुन्नता।

22. गर्मी, सर्दी और जलन की स्पर्श की अनुभूति में कमी होना।

23. यौन क्रिया और प्रजनन क्षमता में बदलाव।

Note:-  यदि आपको या आपके जान पहचान में भी किसी व्यक्ति को पर स्पाइनल कॉर्ड चोट का शक है, तो आप को वैसी स्थिति में तुरंत मेडिकल सहायता लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। साथ ही इसके लिए सहायक सटीक उपचार, साफ सफाई, रोजमर्रा की देखभाल, और बातचीती चिकित्सा आवश्यक हो सकती हैं।

रीढ़ की हड्डी में चोट लगने का कारण क्या हैं?

रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कई कारण हो सकते हैं जैसे मैं अपने दोस्त का उदाहरण देता हूं।

26 हजून 2016 को मै और मेरा दोस्त एक फील्ड में सुबह सुबह गया था दौड़ने और टहलने, उतना में मेरा दोस्त थोड़ा बहुत दौड़ा और बीम घिचने चला गया और वह उल्टा बीम घिचने के प्रयास में बांस को सही से पकड़ नही पाया और गर्दन की तरफ़ गिर गया। जिसके कुछ देर बाद ही उसका पुरा बॉडी सुन होता चला गया। और बाद में एमआरआई के बाद पता चला कि C5 नस में चोट लग गया है. और वह Spinal Cord Injury हो गया।

ठिक इसी प्रकार से अन्य लोगो के साथ भी होता है। जो किसी न किसी प्राकार के चोट, घाव के कारण स्पाइनल इंजुरी हो जाता है .जिसमे कुछ निचे हमने दिया है।

  • रीढ़ की हड्डी पर अचानक चोट।
  • कशेरुकाओं या डिस्क की हड्डी को नुकसान।
  • मोटर वाहन , बाइक दुर्घटनाएँ.
  • झरना, स्विम्मिनिग पुल या नदी तलाब में कूदते वक्त चोट लगने से।
  • हिंसा के कार्य में गहरा चोट लग जाना या रीढ़ में कट लग जाने से।
  • खेल कूद जैसे प्रभाव वाले खेल के दौरान चोट लग जाने से।
  • उथले हुए पानी में गोता लगाना आदि से।
  • कैंसर, गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस आदि जैसी बीमार के वजह से भी Spinal Cord Injury होता है।

रीढ़ की हड्डी की चोट का निदान.

शारीरिक परीक्षण के द्वारा स्पाइनल इंजुरी करें:

Spinal Cord Injury में सबसे पहले व्यक्ति का शारीरिक परीक्षण किया जाता है जिसके तहत  व्यक्ती से यह पूछा और जांच किया जाता है कि बॉडी के अंदर कौन सा पार्ट महसूस हो रहा है और कौन सा नही। बॉडी का कौन सा अंग व्यक्ती हिला पा रहा है और कौन सा नही। चोट का रीढ़ के किस हिस्से में लगा है

एक्स-रे जांच द्वारा चोट पता करे:

शारीरिक परीक्षण के बाद एक्स-रे किया जाता है और यह देखा जाता हैं कि रीढ़ की हड्डी में कोई समस्याओं से फ्रैक्चर, ट्यूमर तो नहीं न हैं।

सीटी स्कैन द्वारा रीढ़ की हड्डी का चोट देखें:

Spinal Cord Injury होने के बाद और एक्स-रे के बाद सीटी स्कैन की आवश्यकता होती हैं और यह और ज्यादा चोट की जगह की तस्वीर को स्पष्ट छवि प्रदान करता है। अगर इस में भी चोट की सप्ष्ट छवि नही आति है तो दुसरा विकल्प देखा जाता हैं।

 एमआरआई द्वारा रीढ़ की हड्डी का जांच करे:

रीढ की हड्डी में गंभीर चोट के लिए सबसे उपयुक्त जांच एमआरआई स्कैन होता है यह शारीर के किसी भी तरह की चोट या अन्य छवियां बनाने के लिए एक मजबूत और चुंबकीय क्षेत्र तथा रेडियो तरंगों का उपयोग करके रीढ़ की हड्डी की जांच करने में बारीकी से मदद करता है।

निष्कर्ष; –

आज हमने इस लेख में जाना कि रीढ़ की हड्डी में चोट क्या है, रीढ़ के हड्डी में चोट लगने के बाद होने वाली भिन्न भिन्न समस्या,spinal cord inury होने के बाद आदमी को सावधान करने वाली अहम बात आदी के बारे में हम इस लेख में विस्तार से जाना है। इसके अलावा हमने इस लेख में रीढ़ के हड्डी में चोट की जाने वाली अहम उपचार
और Spinal Cord Injury होने का कारण आदी के बारे में जाना हैं।

मुझे उम्मीद है कि आपको यह स्पाइनल इंजुरी क्या है के लेख पसंद आया होगा। परंतु आपको इस चोट से जुडी कोइ भी प्रश्न है तो आप हमें मेल या कॉमेंट जरुर करे।

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