Akhada Mahakumbh 2025: प्रयागराज में कौन करेगा सबसे पहले शाही स्नान? कौन अंतिम में; जानें पूरी जानकारी

Akhada Mahakumbh 2025: महाकुंभ के दौरान सबसे पहले शाही स्नान का अधिकार नागा साधुओं को दिया जाता है। नागा साधु भारत में धर्म के रक्षक माने जाते हैं और उनकी विशेष परंपरा के तहत यह सम्मान उन्हें मिलता है। भारत में कुल 13 अखाड़े हैं, और अंग्रेजों के समय से ही यह तय हो चुका है

Akhada Mahakumbh 2025: प्रयागराज में कौन करेगा सबसे पहले शाही स्नान? कौन अंतिम में; जानें पूरी जानकारी
Akhada Mahakumbh 2025

कि किस अखाड़े को सबसे पहले शाही स्नान का अवसर मिलेगा। इस परंपरा का पालन आज भी पूरी निष्ठा से किया जाता है। नागा साधुओं और संत समाज के स्नान के बाद ही आम श्रद्धालुओं या महिला पुरुषों को पवित्र संगम में स्नान करने की अनुमति दी जाती है।

महाकुंभ में कौन करेगा सबसे पहले शाही स्नान?

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान सबसे पहले पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े को शाही स्नान की अनुमति दी जाती है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय में शुरू की गई थी ताकि अखाड़ों के बीच किसी भी प्रकार का विवाद न हो।

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हरिद्वार कुंभ: निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करता है।

उज्जैन और नासिक कुंभ: जूना अखाड़े को पहला स्थान मिलता है।

2025 के महाकुंभ में भी पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ही सबसे पहले स्नान करेगा। हालांकि, कुछ विवादों के कारण इस बार स्थिति थोड़ी अस्पष्ट है, लेकिन परंपरा के अनुसार यही अखाड़ा सबसे पहले संगम में डुबकी लगाएगा।

कैसे होता है शाही स्नान?

शाही स्नान के दौरान सबसे पहले अखाड़े के महंत या सर्वोच्च संत अपने इष्ट देव को स्नान कराते हैं। इसके बाद स्वयं स्नान करते हैं और फिर अखाड़े के अन्य नागा साधु संगम में डुबकी लगाते हैं। सभी 13 अखाड़ों के नागा साधुओं के स्नान के बाद ही आम श्रद्धालुओं को स्नान का अवसर मिलता है।

Akhada Mahakumbh 2025 में स्नान का महत्व

महाकुंभ में डुबकी लगाने को बेहद शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पवित्र स्नान से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे आध्यात्मिक एवं मानसिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही, महाकुंभ के दौरान ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण नदी का जल अमृत तुल्य हो जाता है। यही कारण है कि महाकुंभ में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

(यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।)

Shah Shivangi
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