R. Madhavan का बड़ा सवाल: मुगलों पर 8 चैप्टर, हिन्दू राजा चोल साम्राज्य पर सिर्फ एक क्यों?

R. Madhavan News: बॉलीवुड अभिनेता आर. माधवन इन दिनों अपनी फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग’ को लेकर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वह अपने एक इंटरव्यू के चलते भी चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने एनसीईआरटी (NCERT) की इतिहास की किताबों में मौजूद कंटेंट पर बड़ा सवाल उठाया है।

R. Madhavan का बड़ा सवाल: मुगलों पर 8 चैप्टर, हिन्दू राजा चोल साम्राज्य पर सिर्फ एक क्यों?

NCERT Controversy for Hindu King’s:माधवन ने स्कूल सिलेबस में मुगल इतिहास को अत्यधिक प्राथमिकता दिए जाने और दक्षिण भारत के गौरवशाली चोल साम्राज्य को नजरअंदाज करने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि इतिहास को सिर्फ एक नजरिए से दिखाना, देश की युवा पीढ़ी को अधूरी जानकारी देना है।

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R. Madhavan: इतिहास की किताबों में यह असंतुलन क्यों?

एक न्यूज़ चैनल पर शोशा को दिए एक इंटरव्यू में माधवन ने बताया कि जब वह स्कूल में थे, तब उन्होंने मुगलों पर 8 चैप्टर, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता पर 2 चैप्टर, ब्रिटिश शासन व स्वतंत्रता संग्राम पर 4 चैप्टर, और चोल, पांड्य, पल्लव व चेर जैसे दक्षिणी साम्राज्यों पर सिर्फ 1 चैप्टर पढ़ा था।

R. Madhavan ने सवाल उठाया, “इतिहास में किस हिस्से को ज्यादा महत्व देना है, ये कौन तय करता है? तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, लेकिन स्कूलों में इसका जिक्र तक नहीं होता।”

चोल साम्राज्य का गौरवशाली इतिहास: R. Madhavan

आर. माधवन ने चोल साम्राज्य के योगदान को याद करते हुए बताया कि यह साम्राज्य करीब 2400 वर्षों तक फैला था, जो समुद्री व्यापार, संस्कृति और विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी था। उनका व्यापार नेटवर्क रोम तक फैला था और सांस्कृतिक प्रभाव कोरिया तक दिखाई देता था।

माधवन ने सवाल किया, “ऐसा साम्राज्य, जिसका इतना विशाल प्रभाव रहा, उसके बारे में केवल एक अध्याय क्यों?”

 

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एनसीईआरटी विवाद के बीच माधवन का कमेंट

R. Madhavan की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब एनसीईआरटी पर इतिहास की किताबों से मुगल साम्राज्य और दिल्ली सल्तनत के रेफरेंस हटाने को लेकर विवाद चल रहा है। इन हिस्सों को बदलकर ‘पवित्र भूगोल’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे विषयों से जोड़ा गया है।

कुछ लोग इस बदलाव को देशभक्ति से प्रेरित कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे इतिहास से छेड़छाड़ बताकर आलोचना कर रहे हैं।

“ये नेरेटिव किसका है?” – माधवन

माधवन ने कहा कि इतिहास का पाठ्यक्रम अकसर एक खास दृष्टिकोण से तैयार किया जाता है, जिससे यह तय होता है कि युवा पीढ़ी देश को किस नजर से देखेगी। उन्होंने पूछा, “क्या यह हमारे गौरवशाली अतीत को दबाने की कोशिश है?”

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति में छिपे वैज्ञानिक ज्ञान को भी आज के समय में मजाक बनाकर पेश किया जाता है, जो चिंताजनक है।

‘केसरी चैप्टर 2’ का बचाव

अपनी हालिया फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ को लेकर उठे सवालों पर R. Madhavan ने कहा कि फिल्म एक व्यापक ऐतिहासिक सत्य को दिखाने की कोशिश है। उन्होंने कहा, “हमें बदनाम करने का सबसे आसान तरीका ये कहना है कि हमने रचनात्मक आज़ादी ले ली। लेकिन सच्चाई दिखाने के लिए दोष देना गलत है। ये तथ्य हैं, और इन्हें उजागर किया जाना चाहिए।”

ब्रिटिश वर्जन ऑफ हिस्ट्री पर भी सवाल

R. Madhavan ने ब्रिटिश लेखकों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को “आतंकवादी और लुटेरे” बताए जाने पर भी तीखा विरोध जताया। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि “जनरल डायर की गोलियां खत्म हो गई थीं,

वरना वह गोली चलाना बंद नहीं करता। इतनी क्रूर घटना को भी कुछ लोग सही ठहराने की कोशिश करते हैं। क्या यह इतिहास को सफेद करने की कोशिश नहीं है?”

निष्कर्ष
R. Madhavan ने जिस सवाल को उठाया है, वह केवल पाठ्यपुस्तकों की बात नहीं, बल्कि उस सोच पर चोट है जो हमें अपने अतीत की पूरी तस्वीर से दूर रखती है। यह चर्चा केवल एनसीईआरटी तक सीमित नहीं है,

बल्कि यह सवाल हम सबको खुद से पूछने की ज़रूरत है – क्या हम अपने गौरवशाली इतिहास को पूरी ईमानदारी से जान और सिखा रहे हैं?

Arpna Dutta
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