Kailash Mountain Mystery: हिमालय के सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कैलाश पर्वत न केवल एक भव्य प्राकृतिक संरचना है, बल्कि यह चार प्रमुख धर्मों – हिंदू, बौद्ध, जैन और तिब्बती बोन धर्म के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल भी है। 6638 मीटर (21,778 फीट) की ऊंचाई पर स्थित इस पर्वत को धरती का केंद्र और भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
लेकिन हैरानी की बात ये है कि… अब तक कोई भी इंसान इस पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच सका है।
क्यों है कैलाश की चढ़ाई नामुमकिन?
दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पर हजारों लोग चढ़ चुके हैं, लेकिन कैलाश पर्वत, जो इससे कहीं नीचे है, आज भी ‘अजेय’ बना हुआ है।
कई पर्वतारोहियों ने इसकी चढ़ाई करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया। कारण है:
जबरदस्त चुंबकीय क्षेत्र: वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश पर्वत के आसपास चुंबकीय ऊर्जा इतनी ज्यादा है कि वहां कंपास और तकनीकी उपकरण काम करना बंद कर देते हैं।
मानसिक भ्रम और थकावट: पर्वतारोही बताते हैं कि जैसे ही वे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं, उन्हें मानसिक भ्रम, उलझन और तेज़ थकावट महसूस होने लगती है, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही हो।
एक अद्भुत पिरामिड जैसी चोटी
तिब्बत में कैलाश को गंग टीसे या गंग रिनपोछे कहा जाता है। इसकी चोटी की बनावट पिरामिड जैसी है – और ऐसा स्वरूप दुनिया में और कहीं देखने को नहीं मिलता। यह चारों दिशाओं से एकदम सममित दिखती है, जैसे किसी ने इसे बिलकुल सटीक आकार में गढ़ा हो।
तीर्थयात्रा: 52 KM की कठिन परिक्रमा
हर साल हजारों श्रद्धालु कैलाश की 52 किलोमीटर लंबी परिक्रमा करने पहुंचते हैं, जिसे पूरा करने में आम तौर पर 3 दिन लगते हैं।
हिंदू और बौद्ध अनुयायी घड़ी की दिशा में परिक्रमा करते हैं।
जबकि जैन और बोन धर्म के अनुयायी वामावर्त (उल्टी दिशा) में।
इस यात्रा को करने के लिए व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद मजबूत होना चाहिए।
समय भी यहां बदल जाता है?
कुछ पर्वतारोहियों और यात्रियों ने एक हैरान कर देने वाला अनुभव साझा किया है –
“Kailash पर्वत के पास समय की गति बदल जाती है। कुछ घंटों में ही लोगों के बाल और नाखून बढ़ने लगते हैं, जैसे वे कई दिनों से यहां हों।”
एशिया की पवित्र नदियों का उद्गम स्थल
कैलाश पर्वत सिर्फ आध्यात्मिक महत्व का केंद्र ही नहीं है, बल्कि यह एशिया की चार प्रमुख नदियों – सिंधु, सतलुज, ब्रह्मपुत्र और करनाली का स्रोत भी है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि यह पर्वत केवल धार्मिक नहीं, भौगोलिक रूप से भी एक चमत्कार है।
क्या यह दिव्य ऊर्जा का केंद्र है?
कुछ वैज्ञानिक और शोधकर्ता मानते हैं कि कैलाश पर्वत किसी प्राचीन ऊर्जा केंद्र जैसा है, जो पृथ्वी के ऊर्जा जाल (Grid) के केंद्र में स्थित है। इसकी पिरामिडनुमा बनावट इसे वायुमंडलीय ऊर्जा के संचयन और उत्सर्जन में अद्वितीय बनाती है।
Kailash: रहस्य या आध्यात्म?
कैलाश पर्वत एक ऐसा स्थान है जहां धर्म, विज्ञान और प्रकृति – तीनों मिलकर भी इसका पूरा रहस्य नहीं सुलझा पाए हैं। यह पर्वत श्रद्धा का प्रतीक भी है, और एक ऐसा चमत्कार, जो हमें बार-बार याद दिलाता है कि प्रकृति के पास आज भी बहुत कुछ ऐसा है जिसे इंसान नहीं समझ पाया है।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारियां धार्मिक ग्रंथों, वैदिक पुराणों, विज्ञापन और विभिन्न स्रोतों पर आधारित हैं। इनका उद्देश्य केवल जानकारी देना है, किसी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं।
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