Navratri 2024 7th Day:नवरात्रि के सातवें दिन को महासप्तमी कहा जाता है और इस दिन Maa Kalratri की पूजा की जाती है। माता कालरात्रि को साहस, पराक्रम और न्याय की देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों की रक्षा करते हुए पापियों का संहार करती हैं। यदि आप महासप्तमी का व्रत रखते हैं, तो माता कालरात्रि की व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए।
महासप्तमी की रोज इस व्रत कथा को पढ़ने से व्यक्ति में भय क्लेश का नाश होता है अधर्मी से सामना करने के लिए साहस बढ़ता है। माता कालरात्रि अपने भक्तों को सच्चाई न्याय की प्रेरणा देती हैं।
Maa Kalratri की पूजा:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद माता कालरात्रि की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं और फूल, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें। माँ की आरती करें और उनके समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना करें।
व्रत और उपवास:
यदि आप व्रत रखते हैं तो दिनभर व्रत रखें और संयम से रहें। फल, दूध या अन्य व्रत के भोजन ग्रहण करें। व्रत रखने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है।
मंत्र जाप:
Maa Kalratri के मंत्रों का जाप करें। निम्नलिखित मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै।
विच्चे ॐ कालरात्र्यै नमः।।
इस मंत्र का जाप करने से भय और संकट दूर होते हैं।
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महासप्तमी के दिन यह कथा पढ़ें:
प्राचीन काल में रक्तबीज नामक एक राक्षस ने पूरे संसार में आतंक मचा रखा था। उसे यह वरदान प्राप्त था कि उसकी खून की हर बूंद से एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था, जिससे उसे मारना असंभव हो गया था। देवता और मानव सभी उसकी क्रूरता से त्रस्त थे। सभी ने भगवान शिव से सहायता मांगी। भगवान शिव ने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल माता पार्वती ही कर सकती हैं।
देवताओं की प्रार्थना पर माता पार्वती ने Maa Kalratri का रूप धारण किया और रक्तबीज का संहार करने के लिए आगे बढ़ीं। मां कालरात्रि ने रक्तबीज से भीषण युद्ध किया। जब रक्तबीज के शरीर से खून बहने लगा और नए राक्षस बनने लगे, तब माता कालरात्रि ने अपनी योजना के अनुसार उसका सारा खून पी लिया। इस प्रकार रक्तबीज और नए राक्षस उत्पन्न नहीं हो पाए और अंततः मां कालरात्रि ने उसका वध कर दिया।
इस प्रकार, Maa Kalratri ने संसार को रक्तबीज के आतंक से मुक्त किया। माता कालरात्रि अपने भक्तों के दुखों को हरती हैं और उनमें अदम्य साहस का संचार करती हैं।
जय महाकाली!
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