Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि 2024 का आगमन हो चुका है। यह पर्व 03 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री के बारे में और उनकी पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
Shardiya Navratri 2024:नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन की पूजा विधि और महत्व अलग-अलग होता है। जिसमें पहला दिन में आपको मां के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा अर्चना होती है।
मां शैलपुत्री कौन हैं?
हिमालय की पुत्री: मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री कहा जाता है।
सती का पुनर्जन्म: पूर्व जन्म में मां शैलपुत्री सती थीं, जो भगवान शिव की पत्नी थीं।
शिव की अर्धांगिनी: अगले जन्म में सती, मां शैलपुत्री के रूप में भगवान शिव से विवाह किया।
सूर्य संबंधी समस्याओं का निवारण: मां शैलपुत्री की पूजा से सूर्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
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Shardiya Navratri 2024 मे मां शैलपुत्री की पूजा विधि
विग्रह स्थापना: मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
सफेद वस्तुएं: मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अति प्रिय हैं। इसलिए उन्हें सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पित करें।
भोग: मां शैलपुत्री को सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
मंत्र जाप: मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें।
मूलाधार चक्र: नवरात्रि के प्रथम दिन साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं।
नकारात्मक शक्तियों का नाश: एक पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी, मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि: घटस्थापना आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है।
शुभ मुहूर्त: इस बार प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को दिनभर रहेगी।
क्यों करें मां शैलपुत्री की पूजा?
मनोकामना पूर्ण: मां शैलपुत्री की आराधना से मनोकामना पूर्ण होती है।
कन्याओं को उत्तम वर: मां शैलपुत्री की पूजा से कन्याओं को उत्तम वर मिलता है।
स्वास्थ्य और सम्मान: मां शैलपुत्री को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाने से अच्छा स्वास्थ्य और मान सम्मान मिलता है।
नकारात्मक शक्तियों का नाश: मां शैलपुत्री की पूजा से जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
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