Delhi Ramlila News:दिल्ली समेत पूरे देश में नवरात्रि और दशहरे की तैयारियां जोरों पर हैं। हर जगह रामलीला का मंचन शुरू होने वाला है। लेकिन राजधानी दिल्ली की प्रसिद्ध लवकुश रामलीला समिति ने इस बार एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने धार्मिक और सांस्कृतिक हलकों में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
Poonam Pandey News Update; समिति ने घोषणा की कि अभिनेत्री पूनम पांडे रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार निभाएंगी। जैसे ही यह खबर सामने आई, साधु-संतों और धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
Delhi Ramlila का पूरा मामला क्या है?
लवकुश रामलीला समिति ने मीडिया से कहा कि जैसे ही उन्होंने Poonam Pandey से संपर्क किया, उन्होंने खुशी-खुशी मंदोदरी का किरदार स्वीकार कर लिया। पूनम पांडे ने भी इसे अपना सपना बताया। लेकिन विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने तुरंत इस पर आपत्ति जताई। विहिप का कहना है कि पूनम पांडे का अतीत विवादों से जुड़ा रहा है,
ऐसे में उनका चयन रामलीला जैसे धार्मिक आयोजन के लिए उचित नहीं है। विहिप के नेताओं का कहना है कि रामलीला केवल नाटक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आदर्शों का जीवंत प्रतीक है। इसलिए इसमें कलाकारों का चयन उनकी छवि और श्रद्धा को ध्यान में रखकर होना चाहिए।
संत समाज की नाराज़गी
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने भी कड़ी आपत्ति जताई। उनका कहना है कि रामलीला मनोरंजन का मंच नहीं है, बल्कि मर्यादा और आदर्शों का प्रतीक है। ऐसे में कलाकारों की पृष्ठभूमि और आचरण पर भी ध्यान देना चाहिए।
इसी तरह जगतगुरु बालक देवाचार्य ने कहा कि मंदोदरी पंचकन्याओं में से एक हैं और उनका चरित्र पवित्रता और मर्यादा का प्रतीक है। ऐसे में इस भूमिका के लिए वही उपयुक्त होगा जिसकी छवि भी वैसी ही हो।
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दूसरी ओर अलग राय भी
हालांकि संत समाज का एक वर्ग इसे सकारात्मक नजरिए से भी देख रहा है। महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज का कहना है कि कला और जीवन अलग-अलग होते हैं। अगर Poonam Pandey पूरी श्रद्धा से मंदोदरी का किरदार निभाती हैं, तो यह उनके जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन भी ला सकता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 2019 में राखी सावंत ने भी भक्ति गीतों पर प्रदर्शन किया था, जिसका असर उनके जीवन पर पड़ा।
कम्प्यूटर बाबा का सख्त विरोध
वहीं, कम्प्यूटर बाबा ने इस फैसले को पूरी तरह गलत बताया। उनका कहना है कि Poonam Pandey जैसी अभिनेत्री को मंदोदरी का पवित्र किरदार देना श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कोई भूमिका दी भी जानी थी, तो वह शूर्पणखा की हो सकती थी।
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विवाद में बंटा संत समाज
Poonam Pandey को लेकर यह विवाद अब संत समाज को दो हिस्सों में बांट चुका है। एक वर्ग इसे धार्मिक भावनाओं पर चोट बता रहा है, जबकि दूसरा इसे आध्यात्मिक बदलाव का अवसर मान रहा है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि लवकुश रामलीला समिति अपने फैसले पर अडिग रहती है या मंदोदरी की भूमिका किसी और को देती है।
रामलीला केवल धार्मिक कथा का मंचन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का जीवंत स्वरूप है। ऐसे में पात्रों का चयन केवल कला से नहीं, बल्कि श्रद्धा और आस्था से भी जुड़ा हुआ है।
यह विवाद साफ दिखाता है कि भारतीय समाज में धर्म और कला का संतुलन कितना संवेदनशील विषय है।
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