Dabba Cartel Review: जब हाउसवाइव्स बनीं ड्रग माफिया!
टाइटल: डब्बा कार्टेल
डायरेक्टर: हितेश भाटिया
स्टार कास्ट: शबाना आजमी, शालिनी पांडे, गजराज राव, अंजली आनंद
प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स
रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)
विमेन गैंगस्टर्स की अनोखी दुनिया
भारतीय सिनेमा में महिला गैंगस्टर्स पर बहुत कम फिल्में बनी हैं। ‘गॉडमदर’ (1999) में शबाना आजमी, ‘हसीना पार्कर’ में श्रद्धा कपूर और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में आलिया भट्ट ने इस स्पेस में अपनी छाप छोड़ी थी। ओटीटी पर ‘सास बहू और फ्लैमिंगो’ (डिंपल कपाड़िया) और ‘आर्या’ (सुष्मिता सेन) ने इस थीम को आगे बढ़ाया।
अब नेटफ्लिक्स की ‘Dabba Cartel’ इस जॉनर को एक नए स्तर पर ले जाती है, जो कुछ हद तक हॉलीवुड फिल्म The Kitchen (2019) से प्रेरित लगती है।
Dabba Cartel की पूरी कहानी क्या है?
डब्बा कार्टेल की कहानी मुंबई के वीवा लाइफ हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में शुरू होती है, जहां एक फार्मास्युटिकल कंपनी VIVA LIFE के कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहते हैं। कहानी के केंद्र में है हरी और उसकी पत्नी राजी। हरी, प्रमोशन पाकर जर्मनी शिफ्ट होने की तैयारी में है,
जबकि राजी अपनी मेड माला के साथ टिफिन सर्विस चलाती है। बिक्री बढ़ाने के लिए वे खाने के डब्बों में यौन शक्ति बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी डालने लगती हैं।
इस कहानी में एक और अहम किरदार है – हरी की मां शीला (शबाना आजमी), जिसके अतीत के कुछ रहस्य इस बिजनेस को एक नया मोड़ देते हैं। हाउस ब्रोकर शाहिदा (अंजली आनंद) और वीवा लाइफ फार्मा की पूर्व फाइनेंस ऑफिसर वरुणा (ज्योतिका) भी इस नेटवर्क का हिस्सा बन जाती हैं।
जल्द ही टिफिन सर्विस में जड़ी-बूटियों की जगह ड्रग्स – गांजा, MDMA और फार्मा कंपनी के बैन ड्रग मोडेला की सप्लाई शुरू हो जाती है। देखते ही देखते, ये साधारण हाउसवाइव्स एक नए ड्रग कार्टेल की नींव रख देती हैं, और उनका यह नया एक्सपेरिमेंटल ड्रग मिठाई बाजार में तहलका मचाने लगता है।
कैसे बनी हाउसवाइव्स ड्रग माफिया?
जो बिजनेस कुछ एक्स्ट्रा कमाई के लिए शुरू हुआ था, वह जल्द ही खतरनाक ड्रग सिंडिकेट में बदल जाता है। इन महिलाओं को पुलिस, ड्रग माफियाओं और इंटरनेशनल गैंग्स से निपटना पड़ता है। ‘Dabba Cartel’ के सात एपिसोड्स में दिखाया गया है कि कैसे ये साधारण महिलाएं अपने लालच और हालात के चलते एक अंडरवर्ल्ड जाल में फंस जाती हैं।
शानदार परफॉर्मेंस और दमदार प्रेजेंटेशन
‘Dabba Cartel’ की सबसे बड़ी ताकत इसकी कास्टिंग है।
शबाना आजमी ने शीला के किरदार में गजब की गहराई लाई है, जिससे उनकी मौजूदगी स्क्रीन पर दमदार लगती है।
शालिनी पांडे (राजी) का किरदार धीरे-धीरे निखरता है और अगले सीज़न में यह और भी दिलचस्प होने वाला है।
निमिषा सजयन (माला) का किरदार मेड से मैनेजर बनने तक कई रंग दिखाता है।
अंजली आनंद (शाहिदा) का आत्मविश्वास उनके किरदार को मजबूत बनाता है।
गजराज राव ने भी अपनी एक्टिंग से कहानी को मजेदार बना दिया है।
हालांकि, जिशु सेनगुप्ता और लिलेट दुबे के किरदारों को और ज्यादा उभरने का मौका मिलना चाहिए था।
क्या ‘Dabba Cartel’ को देखना चाहिए?
पहले सीज़न के सात एपिसोड देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे बस स्टार्टर परोसा गया है, मेन कोर्स तो अभी बाकी है। ‘Dabba Cartel’ ने ड्रग्स, क्राइम और थ्रिलर की दुनिया में एक दिलचस्प शुरुआत की है। अगर आप ‘Breaking Bad’ और ‘Narcos’ जैसी सीरीज पसंद करते हैं, तो यह आपको जरूर पसंद आएगी।
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