डायरेक्टर: वरुण ग्रोवर
कास्ट: आदर्श गौरव, स्वानंद किरकिरे, अश्वथ भट्ट
Moive: Kiss Movie Review in Hindi
प्लेटफॉर्म: MUBI
रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐🌟 (4.5/5
कला का काम सीसीटीवी फुटेज नहीं है!
ये डायलॉग नहीं, बल्कि वरुण ग्रोवर की छोटी मगर तीखी फिल्म ‘Kiss’ का असली सार है।
Kiss Movie का कहानी का सार –
‘Kiss Film Meaning Explained Hindi: किस’ सिर्फ 15 मिनट लंबी फिल्म है, लेकिन इसका असर लंबे वक्त तक आपके ज़हन में बना रहता है। फिल्म का नायक सैम (आदर्श गौरव), एक ऐसा युवा फिल्ममेकर है जो अपनी नई फिल्म की सेंसर स्क्रीनिंग के बाद एक अजीब और तीखी वैचारिक बहस में उलझ जाता है।
सेंसर बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले दो अफसर – अश्वथ भट्ट और स्वानंद किरकिरे – उसकी फिल्म में दिखाए गए समलैंगिक चुंबन सीन को लेकर बुरी तरह भड़क जाते हैं। दिलचस्प बात ये है कि ये चुंबन दो अलग-अलग नहीं, बल्कि एक ही किरदार के दो रूपों के बीच का है – जो समय और आत्मस्वीकृति का प्रतीक है।
क्या है खास? – Kiss Movie में
इस फिल्म में केवल एक विवादित दृश्य नहीं, बल्कि पूरा सिस्टम पर एक कटाक्ष है। यह दर्शाती है कि कैसे कई बार कला को समझने वाले लोग खुद अनपढ़ मानसिकता से घिरे होते हैं।
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फिल्म का डायस्टोपियन टोन यानि एक ऐसा भविष्य जहां कला पर नियंत्रण है, बेहद सटीक रूप से दिखाया गया है। ग्रोवर का कैमरा ज्यादा सीन या डायलॉग्स के पीछे नहीं भागता – वो चेहरों पर टिकता है। सैम, सेंसर अधिकारी और सिस्टम की मानसिकता – सब कुछ बिना बोले एक्सपोज़ हो जाता है।
समय का खेल – 28 सेकेंड या तीन मिनट?
चुंबन सीन को लेकर जब तीनों दोबारा थिएटर में जाते हैं, तो हर किसी की घड़ी में उसका टाइम अलग-अलग निकलता है। यही सीन किसी के लिए 28 सेकंड, तो किसी के लिए 3 मिनट लंबा लगता है।
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ये सीन दर्शाता है कि हम जो कुछ भी देखते हैं, वो हमारी सोच, धारणा और मानसिकता पर निर्भर करता है। वरुण ग्रोवर ने ये दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि “समय और नजरिया, दोनों सापेक्ष हैं।”
कलाकारों का अभिनय – कमाल का कंट्रोल
आदर्श गौरव – हर बार की तरह इस बार भी अपने किरदार में पूरी तरह डूबे नजर आते हैं। उनका संयम, असहजता और गुस्सा – सब कुछ बेहद नेचुरल लगता है।
स्वानंद किरकिरे और अश्वथ भट्ट – दोनों का अभिनय एकदम धारदार है। सेंसरशिप के नाम पर नैतिकता का झंडा उठाने वालों का वे बिल्कुल सही प्रतिनिधित्व करते हैं।
निर्देशन – वरुण ग्रोवर का गहरा असर
वरुण ग्रोवर की पहली शॉर्ट फिल्म बतौर डायरेक्टर है ‘Kiss’, लेकिन उन्होंने इसे बेहद परिपक्व तरीके से संभाला है। फिल्म में वो ना सिर्फ एक संवेदनशील कहानी बताते हैं, बल्कि उसे व्यंग्य, दर्शन और इमोशन के मेल से यादगार बना देते हैं।
फिल्म का संदेश –
Kiss सिर्फ सेंसरशिप पर सवाल नहीं उठाती, ये बताती है कि समाज आज भी कितनी चीजों से असहज है – जैसे कामुकता, आत्मस्वीकृति, और भावनात्मक ईमानदारी।
फिल्म दर्शाती है कि कैसे कलाकारों को अपनी बात रखने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है। और सबसे ज़रूरी – वो किसके लिए बना रहे हैं ये सिनेमा – समाज को जगाने के लिए या सिर्फ मनोरंजन के लिए?
छोटी फिल्म, बड़ा असर
Kiss Varun Grover Movie Review: अगर आप उन फिल्मों के शौकीन हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर दें, तो ‘Kiss’ को मिस नहीं करना चाहिए। सिर्फ 15 मिनट में वरुण ग्रोवर ने जो कहानी, व्यंग्य और संदेश रच दिया है – वो कई पूरी लंबाई की फिल्मों से कहीं ज़्यादा असरदार है।
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