Coldest School: भारत का सबसे ठंडा स्कूल, जहां 50 डिग्री तापमान में भी नहीं चलता एसी-कूलर,जाने किस टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल

Coldest School of India: क्या आपने कभी सोचा है कि 50 डिग्री सेल्सियस की तपती गर्मी में कोई स्कूल ऐसा भी हो सकता है, जो बिना किसी एयर कंडीशनर या कूलर के ठंडा बना रहे? भारत में लगभग 15 लाख स्कूल और कॉलेज हैं, जिनमें से कुछ बर्फीली वादियों में हैं तो कुछ रेगिस्तान की भयंकर गर्मी में।

Coldest School: भारत का सबसे ठंडा स्कूल, जहां 50 डिग्री तापमान में भी नहीं चलता एसी-कूलर,जाने किस टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल

Coldest School of Rajsthan India: लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने अनोखे और टिकाऊ डिजाइन के कारण गर्मी में भी ठंडा रहता है — और वो भी देश के सबसे गर्म इलाकों में से एक में।

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कौन सा है यह अनोखा Coldest School?

Coldest School: भारत का सबसे ठंडा स्कूल, जहां 50 डिग्री तापमान में भी नहीं चलता एसी-कूलर,जाने किस टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल

हम बात कर रहे हैं राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल की, जो राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है। जैसलमेर, जहां तापमान अक्सर 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, वहीं यह स्कूल भीषण गर्मी में भी ठंडा रहता है। हैरानी की बात यह है कि इस स्कूल में एक भी एयर कंडीशनर या कूलर नहीं लगाया गया है, फिर भी यहां पढ़ने वाली बच्चियों को कभी गर्मी नहीं सताती।

कहां स्थित है यह स्कूल?

यह Coldest School थार मरुस्थल की गोद में, राजस्थान के जैसलमेर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। जैसलमेर भारत के सबसे गर्म और शुष्क क्षेत्रों में से एक है। यहां गर्मियों में लू चलती है, तापमान 50 डिग्री को पार कर जाता है, और बारिश बेहद कम होती है। ऐसे माहौल में इस तरह का शांत, ठंडा और आरामदायक स्कूल बनाना अपने आप में एक मिसाल है।

किसने किया है इस स्कूल का डिज़ाइन?

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल का डिज़ाइन अमेरिका की मशहूर आर्किटेक्ट डायना केलॉग (Diana Kellogg) ने तैयार किया है। उन्होंने इसे खासतौर पर स्थानीय जलवायु को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया है ताकि यह प्राकृतिक रूप से ठंडा बना रहे और बच्चियों को पढ़ाई में कोई असुविधा न हो।

कैसे रहता है स्कूल ठंडा बिना एसी-कूलर के?

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इस Coldest School की सबसे बड़ी खासियत है इसका स्थानीय और टिकाऊ आर्किटेक्चर। आइए जानते हैं कैसे:

1. स्थानीय सैंडस्टोन (पीला पत्थर) से बनी इमारत

स्कूल की पूरी बिल्डिंग जैसलमेर के पारंपरिक सैंडस्टोन (रेत का पत्थर) से बनाई गई है। यह पत्थर दिन के समय गर्मी को अवशोषित नहीं करता और अंदर के तापमान को ठंडा बनाए रखता है। रात को जब तापमान गिरता है, तो यह दीवारें उस ठंडक को धीरे-धीरे रिलीज करती हैं, जिससे इमारत ठंडी बनी रहती है।

2. छत पर स्पेशल ट्रीटमेंट

स्कूल की छत पर खास किस्म का सीलिंग ट्रीटमेंट किया गया है। छत के अंदर की तरफ लाइम प्लास्टर (चूने का लेप) किया गया है जो गर्मी को अवशोषित नहीं होने देता। वहीं, छत के ऊपर की टाइल्स पर चीनी-मिट्टी की परत (Ceramic Layer) लगाई गई है, जिससे धूप और गर्मी को नीचे आने से रोका जा सके।

3. गोलाकार आर्किटेक्चर और हवा का वेंटिलेशन

Coldest School का डिज़ाइन गोलाकार है, जिससे हवा चारों तरफ से अंदर आती है और गर्मी फंसी नहीं रहती। भवन में प्राकृतिक रोशनी के लिए खुली खिड़कियां और वेंटिलेशन स्पेस दिए गए हैं, जो गर्मी को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

4. सोलर एनर्जी का उपयोग

स्कूल में सोलर पैनल्स भी लगाए गए हैं, जो न सिर्फ ऊर्जा बचाते हैं बल्कि स्कूल को आत्मनिर्भर भी बनाते हैं। बिजली की जरूरतें धूप से पूरी की जाती हैं, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।

यह सिर्फ स्कूल नहीं, एक सामाजिक मिशन है

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल सिर्फ एक शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव का प्रतीक है। यह स्कूल ग्रामीण और पिछड़े इलाके की बच्चियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है, जहां अब तक लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी।

यह स्कूल उन्हें न सिर्फ पढ़ने का मौका देता है, बल्कि एक सुरक्षित, स्वच्छ और ठंडे वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।

क्या भारत के दूसरे स्कूलों में अपनाई जा सकती है यह तकनीक?

Coldest School: भारत का सबसे ठंडा स्कूल, जहां 50 डिग्री तापमान में भी नहीं चलता एसी-कूलर,जाने किस टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल

बिलकुल! इस स्कूल की डिज़ाइन और निर्माण पद्धति से हमें यह सीख मिलती है कि स्थानीय सामग्री और पारंपरिक वास्तुकला का उपयोग करके हम भीषण गर्मी में भी ऊर्जा की बचत कर सकते हैं और बेहतर वातावरण बना सकते हैं। यह मॉडल देश के दूसरे गर्म इलाकों जैसे राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में भी अपनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल एक उदाहरण है कि कैसे तकनीक और परंपरा का मेल करके हम प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर बेहतर जीवन जी सकते हैं। यह भारत का सबसे “ठंडा” स्कूल है — वो भी सबसे गर्म इलाके में! जब बाकी दुनिया एसी और कूलर पर निर्भर हो रही है, तब जैसलमेर की यह पहल हमें स्थायित्व और नवाचार की सही दिशा दिखाती है।

ऐसे और भी अनोखे और प्रेरणादायक कंटेंट्स के लिए पढ़ते रहें – powersmind.com

Coldest School of India

Aditya
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