India’s hypersonic missile test : भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल में क्या है खास? क्यों माना दुनियां कह रही हैं इसे बड़ी कामयाबी?

India’s hypersonic missile test :भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। ओडिशा के तट पर हुए इस परीक्षण ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है,

India's hypersonic missile test : भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल में क्या है खास? क्यों माना दुनियां कह रही हैं इसे बड़ी कामयाबी?
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जिनके पास हवा, पानी, और जमीन से अचूक हमला करने की क्षमता वाली यह अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है। यह उपलब्धि न केवल भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई पर ले जाती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसकी तकनीकी प्रगति को भी दर्शाती है।

1500 किमी से अधिक की ताकतवर रेंज

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा निर्मित यह India’s hypersonic missile 1500 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक सटीकता से हमला करने में सक्षम है। खास बात यह है कि इसे जमीन, समुद्र और वायु तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।

DRDO की हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स ने इस मिसाइल को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है। इसके परीक्षण के दौरान वैज्ञानिक और सशस्त्र बलों के अधिकारी भी मौजूद थे।

India’s hypersonic missile: एक परिचय

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से 5 गुना तेज़, यानी मैक 5 की रफ्तार से अधिक गति से उड़ान भरती हैं। ये पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होती हैं। उन्नत तकनीक से लैस ऐसी मिसाइलें दुश्मन के रडार सिस्टम को पार कर बिना रोके अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती हैं। कुछ हाइपरसोनिक मिसाइलें 15 मैक की गति तक भी पहुंच सकती हैं।

खास क्यों हैं ये India’s hypersonic missile?

इनकी सबसे बड़ी विशेषता है इनका अप्रत्याशित और अचूक होना। हाइपरसोनिक मिसाइलें पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के विपरीत अपने मार्ग में कोई प्रोजेक्टाइल आर्क नहीं बनातीं। इससे इन्हें ट्रैक करना और रोक पाना लगभग असंभव हो जाता है।

यहां तक कि अगर दुश्मन इन्हें ट्रैक कर भी ले, तो इतनी तेज़ गति वाली मिसाइल को रोकने के लिए समान क्षमता वाला हथियार चाहिए, जो फिलहाल बहुत ही दुर्लभ है।

भारत के लिए ऐतिहासिक सफलता

यह परीक्षण भारत के लिए मील का पत्थर है क्योंकि हाइपरसोनिक तकनीक दुनिया के केवल कुछ गिने-चुने देशों जैसे रूस और चीन के पास ही है। अमेरिका इस तकनीक को विकसित करने की प्रक्रिया में है, जबकि फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान और इजरायल जैसे देश इस पर शोध कर रहे हैं।

इस सफलता के साथ भारत तीसरा ऐसा देश बन गया है जिसने यह क्रांतिकारी तकनीक हासिल की है।

यह मिसाइल भारत की रक्षा शक्ति और स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है, जो आने वाले समय में देश की सुरक्षा और रणनीतिक ताकत को नई मजबूती प्रदान करेगी।

Ankit

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